बहुत, खोए-खोए से लगते हो
किसी के होए-होए से लगते हो
ग़मज़दा हम भी-बांटते दुखड़े तुमसे पर
तुम किसी की यादों में दामन-भिगोए से लगते हो
अब न सफ़र रहा न हमसफ़र ही कोई
पर अब भी वही सपने-संजोए से लगते हो
हर शख़्स आता ही है यहाँ जाने के लिए पर तुम तो
उसके आने की प्रतीक्षा के बीज-बोए से लगते हो
@ सचिन
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